विश्वविद्यालय: सर हरीसिंह गौर को ‘भारत रत्न’ दिये जाने संबंधी पत्र का प्रारूप तैयार, भारत सरकार को भेजा जायेगा सागर:

डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय के कुलपति सम्मेलन कक्ष में दिनांक 20 फरवरी को पितृपुरूष, मनीषी, महान दानवीर डॉ. सर हरीसिंह गौर को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान “भारत रत्न” प्रदान किये जाने हेतु समीक्षा बैठक का आयोजन कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता की अध्यक्षता में संपन्न हुई । बैठक में देश के समाजवादी चिंतक रघु ठाकुर विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में उपस्थित रहे । साथ ही समिति के अध्यक्ष प्रो. संजय जैन, प्रो. दिवाकर सिंह राजपूत, प्रो. चंदा बेन, सेवानिवृत्त आचार्य प्रो. आर.के. त्रिवेद्वी, प्रो. पी.पी. सिंह, श्री एस.आर. आठिया, डॉ. संदीप रावत, प्रभारी कुलसचिव डॉ. एस.पी. उपाध्याय, उपकुलसचिव सतीश कुमार उपस्थित थे ।

कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने कहा कि डॉ. गौर ने अपनी बहन की पीड़ा को नजदीक से देखा है, उस पीड़ा को जिया है। चिर काल तक वह पीड़ा उनके मन मानस में अंकित रही थी, जिसके प्रतिबिम्ब के रूप में स्त्री शिक्षा से लेकर, स्त्री विवाह, स्त्री समानता, स्त्री को संपत्ति में अधिकार, स्त्री को कार्य की आजादी, स्त्री समाज को मुख्य धारा में लाने के लिए उनके द्वारा किये गये कार्य अतुलनीय एवं अनुकरणीय हैं । इन सभी तथ्यों को रेखांकित करते हुये एक सारगर्भित प्रस्ताव अविलम्ब तैयार करने पर उन्होंने जोर दिया ।
चर्चा करते हुये वरिष्ठ चिन्तक रघु ठाकुर ने डॉ. गौर के मानवीय पहलुओं को रेखांकित करते हुये कहा कि डॉ. गौर ने अपने जीवन काल में काफी संघर्ष किये. उन्होंने अपनी मां और बहन को भी जीवन-संघर्ष करते हुए देखा था. इसलिए ऐसे महान स्वप्नद्रष्टा और मनीषी को सर्वोच्च नागरिक सम्मान मिले इसके लिए हम सबको प्रयास करना चाहिए.
प्रो. संजय जैन ने समिति को अवगत कराया कि माननीय प्रधानमंत्री जी एवं माननीय मुख्यमंत्री एवं अन्य गणमान्य जनों को प्रेषित किये जाने वाले पत्र का प्रारूप तैयार कर लिया गया है, जिसे समिति के अनुमोदन उपरांत कुलपति महोदया द्वारा प्रेषित किया जायेगा। इस पर निर्णय लिया गया कि इस पत्र में आंशिक संशोधन कर पत्र को अंतिम रूप दिया जाये, जिससे इसे अविलम्ब भेजा जा सके ।
बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि डॉ. सर हरीसिंह गौर को “भारत रत्न” हेतु सार्थक पहल करते हुये यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को डॉ. गौर के अवदानों और कार्यों से अवगत कराया जाए. नगर के जनमानस की इस बहुप्रतीक्षित मांग को भी उनके समक्ष रखा जाए और इसके लिए एक प्रतिनिधि मंडल भेंट हेतु भेजा जाए. इस हेतु आवश्यक पत्राचार भी किया जाए.
समिति ने सर्वसम्मत से यह विचार व्यक्त किया कि डॉ. सर हरीसिंह गौर साहब ने स्त्री की सामाजिक दशा को सुधारना एवं उच्च शिक्षा उस गरीब से गरीब व्यक्ति तक को हासिल हो, जिसकी वह जीवन में कल्पना भी न कर सका हो, को इस विश्वविद्यालय को दिये अपने दान से तथा अपनी विधि की शिक्षा से भारतीय संविधान में ऐसे प्रावधानों को बनाने में विशेष योगदान दिया है। समाज सुधार के साथ-साथ समाज में स्त्री को समानता एवं शिक्षा के अधिकार के पक्षधर, सामाजिक सरोकर के धनी महामना डॉ. सर हरीसिंह गौर को भारत रत्न मिले इस प्रस्ताव को यथाशीघ्र गृह मंत्रालय, भारत सरकार को भेजा जाएगा.

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